डिजिटल युग ने हमें डेटा की एक असीम सार्वभौमिकता के मध्य में खड़ा कर दिया है। हर क्लिक, खोज, और पोस्ट हमारे डिजिटल प्रसार का एक हिस्सा बन जाता है। लेकिन यह केवल एक साधारण तथ्य नहीं है। डेटा संग्रह की यह प्रवृत्ति कंपनियों और संगठनों को हमें बेहतर सेवाएं देने का अवसर प्रदान करती है। लेकिन इंतजार कीजिये, इसमें और भी कुछ है…
हमारे द्वारा उत्पादित डेटा का मात्र 10% स्पष्ट और संरचित है। बाकी 90% डेटा हमारी गतिविधियों के दौरान अप्रयुक्त और अप्रकट रहता है। यह अनसुलझा डेटा हमें समझ में नहीं आने वाली संभावनाएं दिखाता है। डेटा माइनिंग और एनालिटिक्स के क्षेत्र में इन नए रुझानों ने व्यवसायों के लिए नए रास्ते खोले हैं। लेकिन इसे लेकर बहस अभी चल रही है…
एनालिटिक्स की नई दिशा में एआई की साझा प्रक्रिया और गहन शिक्षा ने डेटा की संभावनाओं को नई ऊंचाईयों तक पहुंचा दिया है। यह तकनीकें ना सिर्फ हमें अगली चालों का अनुमान करने में सहायता करती हैं, बल्कि हमारे भविष्य को नज़दीक से देख पाने का अवसर भी देती हैं। पर इससे भी एक बात साफ होती है…
लेकिन क्या इतना व्यापक डेटा संग्रह व्यक्तिगत गोपनीयता पर आक्रमण नहीं करता? गोपनीयता की सुरक्षा और डेटा एथिक्स को ध्यान में रखते हुए हमें इनमें उस संतुलन को कायम रखना होगा। यह एक संघर्ष है जो सफलतापूर्वक चल रहा है, लेकिन यह अध्याय अभी भी अधूरा है…